परम श्रद्धेय स्वर्गीय श्री बाबा साहेब गोखले के असीम त्याग एवं परिश्रम के फलस्वरूप जुलाई सन् 1941 पार्वतीबाई गोखले विद्यालय नामक इस संस्था का जन्म हुआ। यह विद्यालय अपनी गरिमा एवं लोकप्रियता के कारण शीर्घ ही पी.जी.व्ही. इण्टर कॉलेज के नाम से विख्यात हुआ। कालान्तर में इसकी उत्तरेत्तर प्रगति होकर इस विद्यालय की चार शाखाएं पल्लवित हुई जिसमें पी.जी.व्ही. उ. मा. विद्यालय, लश्कर। 1 जुलाई सन् 1959 से प्रारंभ होकर वर्तमान में अपने वृहत् स्वरूप में बाबा गोखले मार्ग, जीवाजीगंज लश्कर, ग्वालियर (म.प्र.) में नगर के मध्य परंतु शहरी कोलाहल से दूर शांत एवं सुरम्य स्थान में स्थित है। इसके अतिरिक्त सार्वजनिक माध्यामिक विद्यालय, लश्कर है। अन्य चार स्नातकोत्तर महाविद्यालय- माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, पा. गो. विज्ञान महाविद्यालय, माधव विधि महाविद्यालय तथा माधव शिक्षा महाविद्यालय के नाम से सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं।
वर्तमान में शिक्षा को व्यावसायिक उक्त शिक्षण संस्थाओं को मध्य भारत शिक्षा समिति ग्वालियर के नाम से पंजीकृत संस्था सफलतापूर्वक चला रही है।
वर्तमान में शिक्षा को व्यावसायिक मानकर शैक्षणिक कार्य में व्यस्त शिक्षण संस्थाओं से परे शिक्षा को पवित्र धर्म कार्य समझकर गत 81 वर्षो से विद्यादान कर रही यह संस्था पी.जी.व्ही. उ. मा. विद्यालय, लश्कर अपनी मौलिकता एवं आदर्शवादिता की मशाल को थामें, अपनी गौरवशाली परम्पराओं को संजोये, समस्त विद्यालयों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनी हुई है। इस संस्था का प्रमुख उद्देश्य- नैतिकता, ज्ञानवर्धन तथा चरित्र निर्माण है।
वर्तमान में इस विद्यालय को शासन से अनुदान प्राप्त होकर शासन व बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। इस विद्यालय में कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएँ सुचारू रूप से चल रही है। कक्षा 9 व 10 सभी विषयों के अध्यापन की व्यवस्था है तथा 11 व 12 में, वाणिज्य में अध्यापन कार्य होता है तथा हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम से सभी कक्षाओं का अध्ययन कार्य भी किया जाता है।
सुख का दाता वब का साथी शुभ का यह संदेश है, माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
विंध्याचल सा भाल नर्मदा का जन जिसके पास है, यहां ज्ञान विज्ञान कला का लिखा गया इतिहास है।
उर्वर भूमि, सघन वन, रत्न, सम्पदा जहां अशेष है, स्वर-सौरभ-सुषमा से मंडित मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता वब का साथी शुभ का यह संदेश है, माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।
चंबल की कल-कल से गंुजित कथा तानख् बलिदान की, खजुुराहो में कथा कला की, चित्रकूट में राम की।
भीमबैठका आदिकला का पत्थर पर अभिषेक है, अमृत कुंड अमरकंटक में, ऐसा मध्यप्रदेश है।
क्षिप्रा में अमृत घट छलका मिला कृष्ण का ज्ञान यहां, महाकाल को तिलक लगाने मिला हमें वरदान यहां।
कविता, न्याय, वीरता गायन, सब कुछ यहां विषेश है, हृदय देश का है यह, मैं इसका, मेरा मध्यप्रदेश है।
सुख का दाता वब का साथी शुभ का यह संदेश है, माँ की गोद, पिता का आश्रय मेरा मध्यप्रदेश है।